Sunday, March 20, 2011

आरक्षण के नाम पर आर्थिक आंतकवाद

                                          आरक्षण के नाम पर आर्थिक आंतकवाद
आरक्षण के नाम पर पहले राजस्थान जला पूरा देश अँधा, बहरा ,गुंगा बना देखता रहा अरबों रुपयों का नुक्सान हुवा जेसा गुजरों ने चाहा वेसा करवाने की कोशिश की गई पुलिस की हत्या की गई लाखो की संपत्ति जला दी गई संपत्ति को जलने वालों पर से मुक़दमे वापस ले लिए गए और दंगायियों के परिजनों को नोकरियाँ दी गई गुजरों के कारन जिन का नुकसान हुवा आज तक उनके नुकसान की भर पाई नहीं हो सकी! राजस्थान सरकार और केंद्र सरकार ने अरबों का नुकसान उठाया  उस नुक्सान की भर पाई पूरे देश से करों के माध्यम से वसूली जाने लगी सरकार के कड़े क़दम  नहीं उठाने के कारण अब झाटों ने  रेलवे मार्गोंपर क़ब्ज़ा कर लिया 400 से  अधिक  ट्रेने परभावित  हो रही हें आरक्षण के नाम पर सरकारें ईमानदार होती तो आज ये नोह्बत नहीं आती हमारे संविधान   की विसंगतियों को दूर करना होगा  एक तरफ समानता का अधिकार रंग ,धर्म जाती के आधार पर कोई भेद नहीं पर वास्तविकता इसके विपरीत हे जब जाती गत आधार पर आरक्षण की बात आती हे तो बेईमानी से एक लाइन जोड़ दी गई की आरक्षण सिर्फ हुन्दुओं के लिए सामान पेशा वाला इंसान आरक्षण का लाभ नही ले सकता आरक्षण का लाभ सिर्फ हिन्दुओं के लिए हे सरकार की बेईमानी ने आज एक जाति को दूसरी जाति के सामने लड़ने के लिए खड़ा कर दिया किसका हक़ काटकर  किसको दोगे ? इस आर्थिक आंतकवाद की जनक खुद सरकारहे अगर अब सख्ती से नहीं निपटा गया तो देश में एक जाति दूसरी जाति  की खुली दुश्मन हो जाएगी 1आबिद अब्बासी कोटा इंडिया

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