Friday, December 31, 2010
EAK SAL ZINDAGI SE KAM HUA
आज दुनिया नया साल मना रही है पर उन को यह नहीं पता के वह मोत के एक और साल करीब आ गए है जो गुज़र गया उस को भूल कर अब वो भलाई के काम करे जो गुज़रे साल न कर सका और काम ऐसा हो जो उसके मरने कें बाद भी उसके नाम को रोशन करता रहे नया साल सबको इस परण के साथ मुबारक हो हर जीवन में खुशाली हो और हमारा भारत भी हमारे साथ खुशाल रहे सभी को 2011 मुबारक हो
Sunday, December 26, 2010
10 SALON KA BOJH KAB TAK
भारत आजाद हुआ देश का अपना संविधान बना, पूरी दुनिया के संविधानो का अवलोकन कर उन संविधानो की खूबियों का समावेश हमारे संविधान में किया गया लेकिन संविधान निर्माताओं ने 10 सालों के लिए एस सी, एस टी जातियों के लिए आरक्षण का परावधान किया आज देश को आजाद हुए 60 सालों से भी अधिक का समय गुज़र गया है पर 10 साल आज तक पुरे नहीं हुए हमेशा संसद द्वारा हर 10 साल में समय बढाया जाता रहा जो देश के अन्य लोगों के साथ धोखा नहीं तो और क्या है ? कम से कम इन 60 सालों में 10 वर्ष तो अन्य देश वासियों के लिए मोका दिया जाता तो जो आरक्षण का बवाल देश में हो रहा है वो नहीं होता सभी को 10 - 10 सालों का सामान अवसर मिल जाता और इस देश का ब्रेन विदेशियों की सेवा नहीं करता और वास्तव में मेरा देश महान होता
Wednesday, December 22, 2010
TUM MERE NAHI
सोचता हूँ के तुम मेरे नहीं |
फिर सोचता हूँ के तुम ही मेरे हो |
ये सोच सोच कर गुज़र रही हे जिंदगी
काश में जान पाता कि कोन किसका हे ?
छीन ली उसने मेरे समझ ने कि समझ
कोई आकर मुझे बताए कि कोन किसका हे ?
या रब मुझसे छीन ले मेरी याददाश्त !
कि में भूल जाऊं कि में किसका हूँ !
आबिद अब्बासी कोटा राजस्थान
Friday, December 10, 2010
BRASATCHAR ME BHI HUM AWWAL
ताज़ा सर्वे के मुताबिक भारत में 54 % लोग बेईमान हें हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक ब्रस्ताचार के मामले में रोजाना नए नए कमेंट्स पास कर रही हे ब्रस्ताचार दिवस मानना बेमानी हे जब तक हम इसका इलाज तलाश नहीं कर लेते { हर शाक पे उल्लू बैठा हे अंजामे गुलिस्ता क्या हो गा ? } जब सरकारें अंधी हो जाती तो उस देश का हाल यही होता हे वोह दिन दूर नहीं जब नंगा भूखा इन्सान इन अमीरों को घर से बाहर निकाल कर सड़कों पर दोड़ा दोड़ा कर मारेगा ब्रस्ताचारी को सरे आम लूटा जाएगा कोई इनको बचा ने वाला नहीं होगा सरकारें वक़्त रहते नही संम्भ्ली तो अंजाम खतरनाक होंगे कियों कि गरीबों के पास खोने के लिए कुछ नहीं होगा और ब्रस्ताचारियों को बचाने वाला कोई नहीं होगा इंसान समझता कियों नहीं कि आखिर दो रोटी के लिए इतनी बेईमानी कियों ?गरीब पैसों के अभाव में खाना नही खा सकता और अमीर उन पैसों को कमाने के कारण उन के पास खाना खाने का वक़्त नहीं पर सोच ता कोन हे ? सब को मालूम हे कि कफ़न में जेब नही होती फिर भी ऐसा कियों करते हें ?आबिद अब्बासी कोटा राजस्थान
Wednesday, December 8, 2010
FANSI KI SAZA KIYON NAHI ?
आज देश में हर तरफ रिश्वत खोरी बेईमानी व् सरकारों को बे दर्दी से लूटने का काम चरम सीमा पर हे जनता ने भी मान लिया हे कि बिना रिश्वत के कोई काम नाही करेगा संसद से लेकर पंचायत तक अस्पताल से लेकर शमशान तक थाने से लेकर अदालत तक पूरा देश ब्रशत्ताचार में लिप्त हे इमानदारों को अंगूलियों पर गिना जा सकता हे ऑफिस में ईमानदारी दिखाने वालों को बरफ में लगा दिया जाता हे हर इन्सान कि ज़बान पर ब्राश्त्तचारियों का नाम हे फिर कानून में बदलाव क्यों नहीं ? आंतकवाद से भी गहरी जड़ें मज़बूत कर ली हे ब्रस्ताचार ने हर तरफ हर कोने में ब्रश्ताचार हे इस पे कानून इतना लचीला कि कुछ मामलों में तुरंत ज़मानत ,ब्रस्ताचारियों के लिए टाडा जेसा सख्त कानून क्यों नहीं ? कानून बनाने का हक जनता को होना चाहिय उनके चुने हुवे नेता तो ब्रष्ट हो चुके हें फिर अपने विरुद्ध सख्त कानून कियों बनायेगे ?कानून में बदलाऊ वक़्त का तकाजा हे बदलना होगा ब्रश्ताचारियों के पक्ष का कानून ! कानून में फांसी कि सजा हो आखरी फैसला अदालत करे राष्ट्रपति को अपील सुनने का प्रावधान न हो वर्ना अफज़ल गुरु कि तरह वर्षो गुज़र जाएँगे कानून कि पलना कराने में !आबिद अब्बासी कोटा
Tuesday, December 7, 2010
HAPPY ISLAMIC NEW YEAR HIJRI 1432
HAPPY ISLAMIC NEW YEAR HIJRI 1432 इस्लामिक साल हिजरी 1432 आज रात सूरज गुरूब होने के साथ ही शुरू हो गया मोहर्रम साल का पहला महीना हे इस महीने कि 10 तारिख को हजरत इमाम हुसैन को यज़ीदियों ने अपने 72 जानिसारों के साथ धोके से बुलाकर क़त्ल कर दिया था हजरत इमाम हुसैन ने यज़ीद के सामने अपने सर को नाही झुकाया बल्कि शाहदत को गले लगाया आज दुनिया में यज़ीदियों का नाम लेने वाला कोई नही हे मोहर्रम का महीना शहादत वाला महीना होने से अफज़ल महीना हे
कत्ले हुसैन असल में मर्गे यज़ीद हे ,
इस्लाम जिंदा होता है हर कर्बला के बाद |
Monday, December 6, 2010
KAASH WAQT RUK JATA
३ दिसम्बर 2010 को कोटा के प्लेट फार्म नंबर 2 पर जेसे ही अगस्त क्रांति राजधानी ट्रेन आकार रुकी कोच बी2 के दरवाजे पर नज़रे जम गई 25 साल पहले कि श्यामला अब केसी होगी ? श्यामला मेरी पत्नी कि बचपन कि सहेली हे जो उसके साथ 8 वीं कक्षा में पढ़ा करती थी आज जब वोह दोनों मिली तो उनकी उम्र 40 साल के करीब हे दोनों कि नज़रे मिली और दोनों एक दुसरे के लिपट गई श्यामला के पिता जी और उनकी माता जी भी मिली जो उन्हें बचपन में बहुत प्यार करते थे आज दोनों बहुत बुज़ुर्ग हो गए पर उनका इस्नेह आज भी पहले कि तरह था 10 मिनट ट्रेन का स्टॉप 10 मिनट पलक झपकते ही गुजर गए इंजन ने सिटी बजा दी श्यामला दोड़ कर ट्रेन में चढ़ गई फिर 5 दिसंबर को उसका फोन आया फिर दोनों में लम्बी बात हुई बचपन कि दो दोस्त जवानी में मिली और बचपन कुछ लम्हों के लिए लोट आया काश ये वक़्त रूक जाता ! आबिद &परवीन अब्बासी कोटा राजस्थान
Thursday, December 2, 2010
DOCTORS KO DI SALAH
कोटा राजस्थान में डॉक्टर्स का अधिवेशन चल रहा हे आखरी दिन कोटा मेडिकल कॉलेज के निओरोलोजिस्ट डाक्टर सरदाना ने अपने साथियों को आयेना दिखाया कि जब मरीज़ अस्पताल लाया जाता हे तो हम डोक्टर आधा घंटे तक उसका इलाज नहीं करते चाहे उस मरीज़ के खून ही कियों न बह रहा हो उन्होंने कहा कि अगर ऐसा हमारे साथ हो तो हम क्या करें ? उन्होंने कहा कि रात को ११ बजे मरीज़ भर्ती होता हे तो सुबह तक वो मर जाता हे कियों कि उसको कोई वरिष्ट डाक्टर देखने नहीं जाता अगर हम पर कभी ऐसा गुज़रे तो हमारा रेअक्तशन केसा हो ? मरीज़ के परिजनों का डाक्टोर्स पर नाराज़ होना वाजिब हे परिजनों कि बात को भी सुना जाना चाही हे जब मरीज़ के परिजन मरीज कि तबीअत बिगड़ ने पर डाक्टर के पास जाता हे तो वो कहता कि स्टाफ से कहों वो कल करेगा जब देखे गें जब तक मरीज़ मर भी सकता हे फिर परिजन क्यों न हम से लडेगा हमें परिजनों कि भी सुनना चाहएहे जब परिजन का मरीज़ घम्भीर बीमार होता हे तब उनकी मन इस्थिति को हमें समझना होगा राजस्थान में गत 5 सालों में रोगी और डाक्टर के टकराव के मामलों में 90 % डाक्टर गलत होते हें डाक्टर सरदाना ने जो नसीहत अपने साथियों को दी हे अगर इसको वोह अपना लें तो डाक्टर से मरीज़ के परिजनों का झगड़ा ही न हो और नाही कभी इस मामले को लेकर कोई हड़ताल ही हो नाही हड़ताल कि वजह से कोई मरीज़ कि मोंत हो इस सलह के लिए डाक्टर सरदाना बधाई के पात्र हें
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